इस पोस्ट में हम आपके साथ 12+ बेहतरीन Poem On Water In Hindi [Jal Par Kavita] शेयर करने जा रहे है जिससे आपको सिखने को मिलेगा , आप ये कविताओं स्कूल में,आयोजित कार्यक्रम में एवं अन्य जगह सुनाने में भी सहायक होगी, आपको इन्हे जरूर पढ़ना चाहिए।
जल पर कविताओं को प्रसिद्ध लेखकों के द्वारा लिखा गया है, जल प्रकृति का एक अनमोल उपहार है इसे हमे सुरक्षित रखना चाहिए, मुझे उम्मीद है कविताये आपको पसंद आएगी एवं इससे सिखने को भी मिलेगा।
आपने बुक में जरूर पढ़ा होगा कि जल ही जीवन है इसी के मदद से हम जी रहे है आपको पता जरूर होगा की धरती का तीन हिस्सा पानी पर है एवं 1 हिस्से पर हम सब है लेकिन इतना पानी होने के बावजूद भी यह पानी पीने योग्य नहीं है,
पृथ्वी पर पिने की पानी धीरे – धीरे काम होती जा रही है आपने न्यूज़ में पढ़ा व सुना जरूर होगा देश में कई जगह पानी की समस्या अभी से उत्पन्न हो रही है लोगो को मीलो दूर पानी लाने जाना होता है और वो भी सिर्फ जरूरत का ही पानी मिल पाता।
पानी गंदा की वजह कहि न कहि हम भी है हम जो कचरा फेक देते है वो नदी में ही जाता है कई सारे वजह है इसलिए हमे अपने आपको में परिवर्तन लाना होगा और पानी को बर्बाद होने से बचाना पड़ेगा। सरकार भी पानी पर कई सारी योजनाए लायी है एवं अन्य आने वाली है जिससे लोगो को जागरुक किया जा सके,
इसी टॉपिक पर कवियों ने बेहतरीन कविताए लिखी है जिसे आपको पढ़ना चाहिए तो चलिए जानते है –
ये सभी कविताये हमने इंटरनेट पर से एवं सोशल साइट से कलेक्ट की है ये हमारे द्वारा लिखी गयी नहीं है इन कविताओं को कवियों के द्वारा लिखा गया है इसलिए मै आभारी हु उन सभी कवियों के लिए जिन्होंने बेहतरीन कविताओं को लिखा है।
सदा हमें समझाए नानी,
नहीं व्यर्थ बहाओ पानी ।
हुआ समाप्त अगर धरा से,
मिट जायेगी ये ज़िंदगानी ।
नहीं उगेगा दाना-दुनका,
हो जायेंगे खेत वीरान ।
उपजाऊ जो लगती धरती,
बन जायेगी रेगिस्तान ।
हरी-भरी जहाँ होती धरती,
वहीं आते बादल उपकारी ।
खूब गरजते, खूब चमकते,
और करते वर्षा भारी ।
हरा-भरा रखो इस जग को,
वृक्ष तुम खूब लगाओ ।
पानी है अनमोल रत्न,
तुम एक-एक बूँद बचाओ ।
~ श्याम सुन्दर अग्रवाल
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
जिसमें मिला दो लगे उस जैसा
इस दुनिया में जीनेवाले ऐसे भी हैं जीते
रूखी-सुखी खाते हैं और ठंडा पानी पीते।
तेरे एक ही घूँट में मिलता जन्नत का आराम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
भूखे की भूख और प्यास जैसा।
गंगा से जब मिले तो बनता गंगाजल तू पावन
बादल से तू मिले तो रिमझिम बरसे सावन
सावन आया सावन आया रिमझिम बरसे पानी
आग ओढ़कर आग पहनकर, पिघली जाए जवानी
कहीं पे देखो छत टपकती, जीना हुआ हराम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
दुनिया बनाने वाले रब जैसा।
वैसे तो हर रंग में तेरा जलवा रंग जमाए
जब तू फिरे उम्मीदों पर तेरा रंग समझ ना आए
कली खिले तो झट आ जाए पतझड़ का पैगाम
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
सौ साल जीने की उम्मीदों जैसा।
~ संतोषानन्द
पानी दे
पानी दे, गुड़-धानी दे।
ठहरे हुए नदी-पोखर को
फिर से नई रवानी दे।
पानी दे, पानी दे।
सब्रोक़रार बाँध जीवन के,
नमक-मिर्च-प्याजों के बल,
टिके हुए बस दो रोटी पर
खा-पीकर मोटे चावल;
मुँह बाए ये प्रश्न खड़े हैं
उत्तर तू लासानी दे।
पानी दे
गुड़-धानी दे।
इन बाँधों से उन बाँधों तक,
पूरा एक महाभारत वे;
लड़े जा रहे भूखे-टूटे,
कुछ स्वारथा कुछ परस्वारथ से।
राह बता लँगड़े-लूलों को
गूँगों को तू बानी दे।
पानी दे, पानी दे,
गुड़-धानी दे।
मुँह धोऊँगा पानी से
मुन्ना बोला नानी से
प्यासे पानी पीते हैं
पानी से हम जीते हैं
जाने कब से पानी है
कितनी बड़ी कहानी है
कहीं ओस है, बर्फ कहीं
पानी ही क्या भाप नहीं
सब रूपों में पानी है
कहती ऐसा नानी है
नदियाँ बहतीं कल-कल-कल
झरने गाते झल-छल-छल
तालों में लहराता जल
कुओं में आता निर्मल
धरती पर जीवन लाया
खेत सींचकर लहराया
करता है यह कितने काम
कभी नहीं करता आराम
पर जब बाढ़ें लाता है
भारी आफत ढाता है।
~ श्रीप्रसाद
पानी जीवों के लिए कितनी ख़ास होती हैं,
प्यास लगने पर पानी की तलाश होती हैं,
धरती-अम्बर को जोड़ने का एक प्रयास होती हैं.
पानी ईश्वर है जिससे जीवन की आस होती हैं.
नल-टोटी से बूँदों में गिरे तो क्यों नही खास होता है,
जब कोई पानी बर्बाद करे तो क्यों नहीं एहसास होता है,
सबका पानी बचाने के लिए क्यों नहीं प्रयास होता हैं,
पानी ही जीवन है ऐसा बोलने पर क्यों नहीं सबको विश्वास होता हैं.
प्यास को जो मिटायें वो पानी हैं,
जो तन-मन के मैल को हटायें वो पानी हैं,
पानी है तो जीवन में रवानी हैं
इसके बिना जीवन की नही कोई कहानी हैं.
भैया पानी नहीं बहाना,
अब घंटे भर नहीं नहाना |
पानी बहुत हुआ है महंगा,
बड़ा कठिन है पानी लाना |
हम सबको है बड़ा जरुरी,
धरती का पर्यावरण बचाना |
पानी गन्दा आया नल में,
पिया बीमार हुआ दो पल में |
उसको उलटी दस्त हो गए,
हाथ पैर भी लस्त हो गए |
पानी(water) सदा साफ़ पीना है,
स्वस्थ रहो लम्बा जीना है |
गन्दा है तो रोज उबालो,
थोड़ा ज़रा फिटकरी डालो ||
~ पंडित दयाल श्रीवास्तव
जल है जीवन का आधार,
जल को न फेंको बेकार |
जल से ही सब जीवन पाते,
जल बिन जीवित न रह पाते |
जल को क्यों फिर व्यर्थ बहाते,
बात सरल सी समझ न पाते |
बदल भाप अम्बर में जाता,
मेघो के घर में भर जाता |
वर्षा में धरती पर आता,
धरती से अम्बर तक जाता |
यही निरंतर चलता रहता,
यही जल चक्र कहलाता |
~ डॉ० अनामिका रिछारिया
मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद,
प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बिना न जी पाओगे।
कब तक बर्बादी का मेरे, तुम तमाशा देखोगे,
संकट आएगा जब तुम पर, तब मेरे बारे में सोचोगे।
संसार में रहने वालों को, मेरी जरूरत पड़ती है,
मेरी बर्बादी के कारण, मेरी उम्र भी घटती है।
ऐसा न हो इक दिन मैं, इस दुनिया से चला जाऊं,
खत्म हो जाए खेल मेरा, लौट के फिर न वापस आऊं।
पछताओगे-रोओगे तुम, नहीं बनेगी कोई बात,
सोचो-समझो करो फैसला, अब तो ये है तुम्हारे हाथ।
मेरे बिना इस दुनिया में, जीना सबका मुश्किल है,
अपनी नहीं भविष्य की सोचो, भविष्य भी इसमें शामिल है।
मुझे ग्रहण कर सभी जीव, अपनी प्यास बुझाते हैं,
कमी मेरी पड़ गई अगर तो, हर तरफ सूखे पड़ जाते हैं।
सतर्क हो जाओ बात मान लो, मेरी यही कहानी है।
करो फैसला मिलकर आज, मत करो मुझको बर्बाद,
इतना तो तुम रखो याद।
जल ही जीवन है
जल से हुआ सृष्टि का उद्भव जल ही प्रलय घन है
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है।।
शीत स्पर्शी शुचि सुख सर्वस
गन्ध रहित युत शब्द रूप रस
निराकार जल ठोस गैस द्रव
त्रिगुणात्मक है सत्व रज तमस
सुखद स्पर्श सुस्वाद मधुर ध्वनि दिव्य सुदर्शन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
भूतल में जल सागर गहरा
पर्वत पर हिम बनकर ठहरा
बन कर मेघ वायु मण्डल में
घूम घूम कर देता पहरा
पानी बिन सब सून जगत में, यह अनुपम धन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
नदी नहर नल झील सरोवर
वापी कूप कुण्ड नद निर्झर
सर्वोत्तम सौन्दर्य प्रकृति का
कल-कल ध्वनि संगीत मनोहर
जल से अन्न पत्र फल पुष्पित सुन्दर उपवन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
बादल अमृत-सा जल लाता
अपने घर आँगन बरसाता
करते नहीं संग्रहण उसका
तब बह॰बहकर प्रलय मचाता
त्राहि-त्राहि करता फिरता, कितना मूरख मन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
~ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
पानी की महिमा धरती पर, है जिसने पहचानी ।
उससे बढ़कर और नहीं है, इस दुनिया में ज्ञानी ।।
जिसमें ताकत उसके आगे, भरते हैं सब पानी ।
पानी उतर गया है जिसका, उसकी खतम कहानी ।।
जिसकी मरा आँख का पानी, वह सम्मान न पाता ।
पानी उतरा जिस चेहरे का, वह मुर्दा हो जाता ॥
झूठे लोगों की बातें पानी पर खिंची लकीरें ।
छोड़ अधर में चल देंगे वे, आगे धीरे-धीरे । ।
जिसमें पानी मर जाता है, वह चुपचाप रहेगा ।
बुरा-भला जो चाहे कह लो, सारी बात सहेगा ।।
लगा नहीं जिसमें पानी, उपज न वह दे पाता ।
फसल सूख माटी में मिलती, नहीं अन्न से नाता ।।
बिन पानी के गाय-बैल, नर नारी प्यासे मरते ।
पानी मिल जाने पर सहसा गहरे सागर भरते ।।
बिन पानी के धर्म-काज भी, पूरा कभी न होता ।
बिन पानी के मोती को, माला में कौन पिरोता ।।
इस दुनिया से चल पड़ता है, जब साँसों का मेला ।
गंगा-जल मुँह में जाकर के, देता साथ अकेला । ।
उनसे बचकर रहना जो पानी में आग लगाते ।
पानी पीकर सदा कोसते, वे कब खुश रह पाते ।।
पानी पीकर जात पूछते हैं केवल अज्ञानी।
चुल्लू भर पानी में डूबें, उनकी दुखद कहानी ॥
चिकने घड़े न गीले होते, पानी से घबराते ।
बुरा-भला कितना भी कह लो, तनिक न वे शरमाते ॥
नैनों के पानी से बढ़कर और न कोई मोती ।
बिना प्यार का पानी पाए, धरती धीरज खोती ।।
प्यार ,दूध पानी-सा मिलता है जिस भावुक मन में ।
उससे बढ़कर सच्चा साथी, और नहीं जीवन में ।।
जीवन है बुलबुला मात्र बस, सन्त कबीर बतलाते ।
इस दुनिया में सदा निभाओ, प्रेम -नेम के नाते ।।
~ रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
पानी पानी पानी,
अमृतधारा सा पानी
बिन पानी सब सूना सूना
हर सुख का रस पानी
पावस देख पपीहा बोल
दादुर भी टर्राये
मेह आओ ये मोर बुलाये
बादर घिर-घिर आये
मेघ बजे नाचे बिजुरी
और गाये कोयल रानी।
रुत बरखा की प्रीत सुहानी
भेजा पवन झकोरा
द्रुमदल झूमे फैली सुरभि
मेघ बजे घनघोरा
गगन समन्दनर ले आया
धरती को देने पानी।
बाँध भरे नदिया भी छलकीं
खेत उगाये सोना
बाग बगीचे, हरे भरे
धरती पर हरा बिछौना
मन हुलसे पुलकित तन झंकृत
खुशी मिली अनजानी।
उपवन कानन ताल तलैया
थे सूखे दिल धड़कें
जाता सावन ज्योंलही लौटा
सबकी भीगी पलकें
क्या बच्चे क्याै बूढे नाचे
सब पर चढ़ी जवानी।
पानी पानी पानी।
~ गोपाल कृष्णा भट्ट ‘आकुल’
मुँह धोऊँगा पानी से
मुन्ना बोला नानी से
प्यासे पानी पीते हैं
पानी से हम जीते हैं
जाने कब से पानी है
कितनी बड़ी कहानी है
कहीं ओस है, बर्फ कहीं
पानी ही क्या भाप नहीं
सब रूपों में पानी है
कहती ऐसा नानी है
नदियाँ बहतीं कल-कल-कल
झरने गाते झल-छल-छल
तालों में लहराता जल
कुओं में आता निर्मल
धरती पर जीवन लाया
खेत सींचकर लहराया
करता है यह कितने काम
कभी नहीं करता आराम
पर जब बाढ़ें लाता है
भारी आफत ढाता है।
~ श्रीप्रसाद
मैं पानी हूँ
आपकी आँखों का पानी
प्यासे की प्यास
बुझाने वाला पानी
रंगहीन, गंधहीन पानी
झील नदी नालों
पोखरों
तालाब और कुँए का पानी
वर्षा का पानी
ओस का पानी
समुन्दर का लहलहाता
इठलाता बलखाता पानी
बर्फ़ का जमा
बादलों का वाष्पित पानी
नदियों में बहता
तालाब पोखरों में बँधता
बादलों में आसमान छूता
उड़ता बरसता
फिर बहता
मैं रूकता नहीं
मैं चलता रहता हूँ
अपनी मंज़िल की ओर
सारा जहाँ मेरी मंज़िल
समंदर मेरा अन्तिम पड़ाव
जहाँ पर भी
मैं मारता हिलोरे
और उड़ जाता
बादल बन कर
मेरे बिना जीवन नहीं
मेरे बिना जग नहीं
मैं ना गिरूँ तो
पड़ जाता सूखा
मैं बरस पड़़ूँ
तो आ जाती बाढ़
मेरे जीवन चक्र
को मत रोको
मैं अनमोल हूँ
मुझे सहेजो
~ शरद चन्द्र गौड़
ये भी पढ़े
इस पोस्ट में हमने 12+ बेहतरीन Jal Par Kavitaye | Poem On Water In Hindi शेयर की है जिसमें पानी के बारे में अच्छे से बताया गया है मुझे उम्मीद है कि यह कविताएं आपको पसंद आयी होगी एवं उनसे कुछ न कुछ सीखने को भी जरूर मिला होगा।
अगर इस पोस्ट से जुड़े कोई प्रश्न या सुझाव है तो कमेंट जरूर करे एवं यदि यह पोस्ट आपको पसंद आयी एवं उपयोगी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरूर करे।
Are you looking for the Indian Bank ATM Card Application Form PDF? If so, then you are in the right…
Are you looking for the SBI Credit Card Form PDF? If yes, you're in the right place. Here you'll get…
Are you looking for the Canara Bank KYC Form PDF? If yes, you're in the right place. Here you'll get…
Are you looking for the Canara Bank RTGS And NEFT Form pdf? If yes, you're in the right place. Here…
Are you looking for the Canara Bank Account Opening Form PDF? If yes, you're in the right place. Here you'll…
Hey aspirants, In today's post, I'm going to share UPPSC Previous Year Paper PDF, which is useful for all the…